लेखनी प्रतियोगिता - ज़ख्म दिल के...
ज़ख्म दिल के...
दर्द को अपने सीने में दबाए हुए हैं,
तुम क्या जानो,
क्या क्या ज़ख्म छुपाए हुए हैं,
कभी ना जान पाओगे,
हमारी मुस्कुराहट के पीछे का गम,
हर बार तुम्हें रहेगा,
मेरे खुश रहने का भ्रम,
मगर दिल की गहराई में
कितना तड़प रहे हैं हम
ये कभी ना जान पाओगे।।
प्रियंका वर्मा
27/9/22
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Swati chourasia
28-Sep-2022 08:22 PM
बहुत खूब 👌👌
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Priyanka Verma
28-Sep-2022 11:18 AM
आप सभी का हार्दिक आभार,🙏💐💐💐💐
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Punam verma
28-Sep-2022 08:07 AM
Very nice
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